मंदिर का पैसा भगवान का है, बैंकों के लिए नहीं हो सकता इस्तेमाल: CJI सूर्यकांत ने कही बड़ी बात.

मंदिर का पैसा भगवान का है, बैंकों के लिए नहीं हो सकता इस्तेमाल: CJI सूर्यकांत ने कही बड़ी बात.

Google image CJI

मंदिर का पैसा भगवान का है, बैंकों के लिए नहीं हो सकता इस्तेमाल: CJI सूर्यकांत ने कही बड़ी बात

सूर्यकांत ने शुक्रवार को बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मंदिर का पैसा भगवान का है और पैसे की तंगी से जूझ रहे कोऑपरेटिव बैंकों को सहारा देने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की दो-न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सोमवार को एक बेहद सख्त टिप्पणी की।

यह टिप्पणी उन कोऑपरेटिव बैंकों की अपीलों पर सुनवाई के दौरान की गई, जिन्होंने केरल हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट ने इन बैंकों को निर्देश दिया था कि वे थिरुनेली मंदिर देवस्वोम द्वारा की गई फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) राशियों को तुरंत बंद कर पूरी रकम वापस करें, क्योंकि बैंकों ने समय पूरा होने के बावजूद मैच्योरिटी अमाउंट लौटाने से कई बार इनकार किया था।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार

सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने बैंकों के रवैये पर गहरी आपत्ति जताते हुए पूछा:

“क्या आप मंदिर के पैसे का इस्तेमाल अपने बैंकों को जिंदा रखने के लिए करना चाहते हैं? आखिर इसमें क्या गलत है कि मंदिर की जमा राशि को एक ऐसे कोऑपरेटिव बैंक से निकालकर एक सक्षम और स्वस्थ नेशनलाइज्ड बैंक में रखा जाए, जो न केवल स्थिर है बल्कि ज्यादा ब्याज देने की भी क्षमता रखता है?”

CJI ने यह भी स्पष्ट किया कि—

“मंदिर की धनराशि देवता की संपत्ति है। इस पैसे का उपयोग केवल मंदिर के कल्याण, सुरक्षा और धार्मिक उद्देश्यों के लिए होना चाहिए। यह किसी कोऑपरेटिव बैंक के लिए अपनी कमाई बढ़ाने का साधन नहीं बन सकता।”

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी ने बैंकों की उस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हाई कोर्ट के अचानक आदेश से उन्हें आर्थिक व प्रशासनिक कठिनाइयाँ पैदा हो रही हैं।

मामला क्या था?

मामला मनंतवाडी को-ऑपरेटिव अर्बन सोसाइटी लिमिटेड और थिरुनेली सर्विस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड सहित पाँच बैंकों से जुड़ा था।

केरल हाई कोर्ट ने पाया था कि:

मंदिर देवस्वोम की कई FD मैच्योर हो चुकी थीं

परंतु बैंक इनका भुगतान देने से लगातार पीछे हट रहे थे

इस रवैये से भक्तों द्वारा दान किए गए धन की सुरक्षा खतरे में पड़ रही थी

इसी कारण हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि:

सभी FD को तुरंत बंद किया जाए

दो महीनों के भीतर पूरी रकम देवस्वोम को वापस की जाए

सुप्रीम कोर्ट: विश्वसनीयता बनाए रखना बैंकों की ज़िम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट कहा:

“अगर आप अपने संस्थान में ग्राहकों का भरोसा बनाए नहीं रख पा रहे हैं, नए डिपॉजिट नहीं जुटा पा रहे हैं, तो यह आपकी व्यवसायिक विफलता है। इसका खामियाजा मंदिर या भक्तों के पैसे से नहीं उठाया जा सकता।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंकों को अपनी वित्तीय स्थिति और कॉर्पोरेट गवर्नेंस सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, न कि धार्मिक संस्थानों के धन पर निर्भर रहना चाहिए।

अपील पर विचार से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने:

बैंकों की विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर विचार करने से इनकार कर दिया

हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से साफ इनकार करते हुए केस खत्म कर दिया

हालांकि, बैंकों को यह स्वतंत्रता दी कि वे — समय बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दे सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट संदेश देता है कि:

धार्मिक संस्थानों का धन अत्यंत संवेदनशील और सार्वजनिक विश्वास से जुड़ा होता है

किसी भी वित्तीय संस्था को इसे अपनी कठिनाइयों का सहारा नहीं बनाना चाहिए

बैंकिंग क्षेत्र में भरोसा और पारदर्शिता सर्वोच्च है, और उसकी कमी का बोझ ग्राहक या धार्मिक संस्थान नहीं उठाएंगे

नीचे इस पूरे मामले से जुड़े मुख्य FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) सरल और स्पष्ट भाषा में दिए गए हैं:

FAQs: सुप्रीम कोर्ट और मंदिर की FD राशि विवाद

1. मामला किस बारे में था?

यह मामला थिरुनेली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) राशि से जुड़ा था, जिसे कुछ कोऑपरेटिव बैंकों ने मैच्योर होने के बावजूद वापस करने से मना कर दिया था।

2. हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?

केरल हाई कोर्ट ने पाँच कोऑपरेटिव बैंकों को निर्देश दिया कि मंदिर की सभी FD बंद करें और दो महीने के भीतर पूरी राशि देवस्वोम को वापस करें।

3. बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुँचे?

बैंकों ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी, उनका दावा था कि अचानक FD बंद करवाना और पूरी राशि लौटाना उनके लिए आर्थिक रूप से मुश्किल पैदा करेगा।

4. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों की दलीलें खारिज करते हुए कठोर टिप्पणी की कि मंदिर के पैसे का उपयोग बैंक को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता।
सीजेआई ने कहा कि मंदिर का धन “देवता की संपत्ति” है और इसे सुरक्षित व लाभदायक बैंक में रखना ही उचित है।

5. क्या सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों की अपील स्वीकार की?

नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर विचार करने से ही इनकार कर दिया।

6. क्या बैंकों को कोई राहत मिली?

सीधे राहत नहीं मिली, लेकिन कोर्ट ने यह छूट दी कि बैंक अतिरिक्त समय मांगने के लिए हाई कोर्ट जा सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि बैंक ग्राहकों के बीच अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने में असफल हो रहे हैं, और यह उनकी अपनी समस्या है।
धार्मिक संस्थानों का पैसा उनके कामकाज का सहारा नहीं बन सकता।

8. मंदिर का पैसा कोऑपरेटिव बैंक में ही क्यों रखा गया था?

आमतौर पर स्थानीय स्तर पर सुविधा और उच्च ब्याज दर के कारण मंदिर और देवस्वोम कोऑपरेटिव बैंकों में जमा करते हैं, लेकिन कई बार ये बैंक कमजोर वित्तीय स्थिति में पहुँच जाते हैं।

9. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीयकृत बैंकों का जिक्र क्यों किया?

सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक अधिक स्थिर होते हैं और ज्यादा ब्याज भी दे सकते हैं, इसलिए मंदिर के पैसे को सुरक्षित स्थान पर रखना मंदिर के हित में है।

10. इस फैसले का बड़ा असर क्या है?

यह फैसला बताता है कि:

धार्मिक संस्थानों की धनराशि को सर्वोच्च स्तर पर सुरक्षा मिलनी चाहिए

कमजोर या अस्थिर बैंकों को इसका सहारा नहीं बनना चाहिए

बैंकिंग क्षेत्र की जवाबदेही और पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण है.

The post मंदिर का पैसा भगवान का है, बैंकों के लिए नहीं हो सकता इस्तेमाल: CJI सूर्यकांत ने कही बड़ी बात. appeared first on .

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Comments (0)

Your email address will not be published. Required fields are marked *